Veerabhadra Stotram🐚
The Veerabhadra Stotram is a devotional hymn dedicated to Veerabhadra, a fierce & powerful manifestation of Lord Shiva. This hymn is often recited to get the blessings & protection of Lord Veerabhadra.
Veerabhadra Stotram
ॐ गणेशाय नमः |
ॐ शंकराय नमः |
वीरभद्राय नमः |
शिवाय महादेवाय च |
नमः पातालसद्गुण |
अय्याजी प्राणनाथाय |
शिवाय च शिवाय च |
वीरभद्राय वीरभद्राय |
शिवाय महादेवाय च |
शिवा भवति सदा सदा |
सर्वसाक्षी महेश्वरः |
सुरसुरानां रक्षिता |
वीरभद्राय नमः |
नमः शिवाय महेश्वराय |
कृष्णाय च हरेः प्रभो |
सर्वशक्तिमये तस्य |
वीरभद्राय नमः |
यस्तु स्तोत्रं पठेद्देव |
सर्वदुःखविवर्जितः |
वीरभद्रस्य कृपया |
शिवाय नमोऽस्तु ते |
ॐ श्री गुरुभ्यो नमः |
ॐ श्री रामाय नमः |
Veerbhadra Maha Mantra
Veerabhadra Bhujangam
गुणादोषभद्रं सदा वीरभद्रं
मुदा भद्रकाल्या समाश्लिष्टमुग्रम्।
स्वभक्तेषु भद्रं तदन्येष्वभद्रं
कृपाम्भोधिमुद्रं भजे वीरभद्रम्।
महादेवमीशं स्वदीक्षागताशं
विबोध्याशुदक्षं नियन्तुं समक्षे।
प्रमार्ष्टुं च दाक्षायणीदैन्यभावं
शिवाङ्गाम्बुजातं भजे वीरभद्रम्।
सदस्यानुदस्याशु सूर्येन्दुबिम्बे
कराङ्घ्रिप्रपातैरदन्तासिताङ्गे।
कृतं शारदाया हृतं नासभूषं
प्रकृष्टप्रभावं भजे वीरभद्रम्।
सतन्द्रं महेन्द्रं विधायाशु रोषात्
कृशानुं निकृत्ताग्रजिह्वं प्रधाव्य।
कृष्णवर्णं बलाद्भासभानं
प्रचण्डाट्टहासं भजे वीरभद्रम्।
तथान्यान् दिगीशान् सुरानुग्रदृष्ट्या
ऋषीनल्पबुद्धीन् धरादेववृन्दान्।
विनिर्भर्त्स्य हुत्वानले त्रिर्गणौघै-
रघोरावतारं भजे वीरभद्रम्।
विधातुः कपालं कृतं पानपात्रं
नृसिंहस्य कायं च शूलाङ्गभूषम्।
गले कालकूटं स्वचिह्नं च धृत्वा
महौद्धत्यभूषं भजे वीरभद्रम्।
महादेव मद्भाग्यदेव प्रसिद्ध
प्रकृष्टारिबाधामलं संहराशु।
प्रयत्नेन मां रक्ष रक्षेति यो वै
वदेत्तस्य देवं भजे वीरभद्रम्।
महाहेतिशैलेन्द्रधिकास्ते
करासक्तशूलासिबाणासनानि।
शरास्ते युगान्ताशनिप्रख्यशौर्या
भवन्तीत्युपास्यं भजे वीरभद्रम्।
यदा त्वत्कृपापात्रजन्तुस्वचित्ते
महादेव वीरेश मां रक्ष रक्ष।
विपक्षानमून् भक्ष भक्षेति यो वै
वदेत्तस्य मित्रं भजे वीरभद्रम्।
अनन्तश्च शङ्खस्तथा कम्बलोऽसौ
वमत्कालकूटश्च कर्कोटकाहिः।
तथा तक्षकश्चारिसङ्घान्निहन्या-
दिति प्रार्थ्यमानं भजे वीरभद्रम्।
गलासक्तरुद्राक्षमालाविराज-
द्विभूतित्रिपुण्ड्राङ्कभालप्रदेशः।
सदा शैवपञ्चाक्षरीमन्त्रजापी
भवे भक्तवर्यः स्मरन् सिद्धिमेति।
भुजङ्गप्रयातर्महारुद्रमीशं
सदा तोषयेद्यो महेशं सुरेशम्।
स भूत्वाधरायां समग्रं च भुक्त्वा
विपद्भयो विमुक्तः सुखी स्यात्सुरः स्यात्।
Veerabhadra Bhujangam
Veerbhadra Chalisa
वन्दोच वीरभद्र शरणों शीश नवाओ भ्रात।
ऊठकर ब्रह्ममुहुर्त शुभ कर लो प्रभात॥
ज्ञानहीन तनु जान के भजहौंह शिव कुमार।
ज्ञान ध्यातन देही मोही देहु भक्तिु सुकुमार॥
जयजयशिवनन्दानजयजगवन्दमन। जय-जय शिव पार्वतीनन्दजन॥
जय पार्वती प्राण दुलारे। जय-जय भक्त नके दु:ख टारे॥
कमल सदृश्यव नयन विशाला। स्वर्ण मुकुट रूद्राक्षमाला॥
ताम्र तन सुन्दार मुख सोहे। सुरनरमुनि मनछविलय मोहे॥
मस्तरकतिलक वसन सुनवाले। आओ वीरभद्र कफली वाले॥
करिभक्तनन सँग हास विलासा। पूरन करि सबकी अभिलासा॥
लखिशक्ति की महिमा भारी। ऐसे वीरभद्र हितकारी॥
ज्ञान ध्यादन से दर्शन दीजै। बोलो शिव वीरभद्र की जै॥
नाथ अनाथो के वीरभद्रा। डूबत भँवर बचावत शुद्रा॥
वीरभद्र मम कुमति निवारो। क्षमहु करो अपराध हमारो ॥
वीरभद्र जब नाम कहावै। आठों सिद्घि दौडती आवै॥
जय वीरभद्र तप बल सागर। जय गणनाथत्रिलोग उजागर॥
शिवदूत महावीर समाना। हनुमत समबल बुद्घिधामा॥
दक्षप्रजापति यज्ञ की ठानी। सदाशिव बिनसफलयज्ञ जानी॥
सति निवेदन शिवआज्ञा दीन्ही। यज्ञ सभासति प्रस्थाआनकीन्हीा ॥
सबहु देवन भाग यज्ञ राखा। सदाशिव करि दियो अनदेखा॥
शिव के भागयज्ञ नहींराख्यौश। तत्क्ष ण सती सशरीर त्या॥गो॥
शिव का क्रोध च रम उपजायो। जटा केश धरा पर मार्यो॥
तत्क्ष ण टँकार उठी दिशाएँ वीरभद्र रूप रौद्र दिखाएँ॥
कृष्ण् वर्ण निज तन फैलाए। सदाशिव सँग त्रिलोक हर्षाए॥
व्योमसमान निजरूपधरलिन्हो। शत्रुपक्ष परदऊचरण धर लिन्हो॥॥
रणक्षेत्र में ध्वँलस मचायो। आज्ञा शिव की पाने आयो॥
सिंह समान गर्जना भारी। त्रिमस्त क सहस्र भुजधारी॥
महाकाली प्रकट हु आई। भ्राता वीरभद्र की नाई॥
आज्ञा ले सदाशिव की चलहुँ ओर ।
वीरभद्र अरू कालिका टूट पडे चहुओर॥
Veerabhadra Mantra
वीरभद्रस्तोत्रम्
ॐ वीरभद्राय वैरिवंश विनाशाय सर्वलोक भयङ्कराय भीमवेषाय हुं फट् स्वाहा।
वीरभद्र यन्त्र
ॐ अञ्जनस्वामी महादेवाय वीरभद्राय सर्वरोग विनाशाय सर्वदुष्टत्सर वशमाय नमः।
वीरभद्र यन्त्र मन्त्र
ॐ अञ्जनस्वामी महादेवाय वीरभद्राय सर्वरोग विनाशाय सर्वविघ्न नाशाय सर्वसिद्धि प्रदाय नमः।